
डायबिटीज, जिसे मधुमेह भी कहा जाता है, एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोईसा कामकाज में ग्लूकोज को सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाने के कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इसके मुख्य कारण में इंसुलिन की कमी या कोईसा कामकाज में इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध शामिल है।
डायबिटीज के मुख्य दो प्रकार होते हैं:
टाइप 1 डायबिटीज: इसमें शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता और इसके इलाज के लिए व्यक्ति को बाहरी स्रोत से इंसुलिन की नियमित आपूर्ति की आवश्यकता होती है। यह आमतौर पर युवा वर्ग में दिखाई पड़ती है।
टाइप 2 डायबिटीज: इसमें शरीर में इंसुलिन बनती है, लेकिन इंसुलिन को सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाने के कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। यह सामान्यतया बड़ी उम्र में दिखाई पड़ती है, लेकिन जीवनशैली के कारण युवा वर्ग में भी हो सकती है।
डायबिटीज का निदान करने के लिए विभिन्न परीक्षण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
रक्त शर्करा: रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जांच।
हेमोग्लोबिन A1c (HbA1c): पिछले 2-3 महीनों में ग्लूकोज के स्तर की औसत जानकारी देता है।
ऑरल ग्लूकोज टोलरैंस टेस्ट (OGTT): शरीर में ग्लूकोज के प्रोसेसिंग की क्षमता की जांच करता है।
डायबिटीज के विभिन्न लक्षण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
अतिसार या सामान्य से अधिक पेशाब करना।
बार-बार प्यास लगना।
अचानक वज़न घटना।
थकान और कमज़ोरी।
कटौती-घाव धीमी गति से भरना।
अविवेक या धुंधली दृष्टि।
यदि आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने नजदीकी चिकित्सक से सलाह अवश्य लें और समय-समय पर डायबिटीज की जाँच करवाएं।
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